जयपुर, 6 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने पॉक्सो प्रकरणों में अनुसंधान में देरी और डीएनए रिपोर्ट समय पर नहीं आने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पॉक्सो कानून बने 12 साल बीत गए हैं, लेकिन अभी तक डीएनए जांच के लिए पर्याप्त प्रयोगशाला ही नहीं है। अदालत ने कहा कि सरकार के मंत्री बयान देते हैं कि तीन माह में न्याय कराएंगे, लेकिन पुलिस छह माह में तो प्रकरण को एफएसएल में ही नहीं भेजती। वहीं दो-दो साल तक एफएसएल रिपोर्ट नहीं आती। जिसके चलते दस साल तक पॉक्सो केस लंबित रहते हैं, जबकि कानून में इन प्रकरणों को निस्तारित करने की समय सीमा तय की गई है। अदालत ने कहा कि जिन छोटी बच्चियों से दुष्कर्म हुआ है, उन पर क्या बीतती होगी। जस्टिस उमाशंकर ने यह टिप्पणी पॉक्सो प्रकरण से जुडे एक मामले में की। अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि वह इस संबंध में उचित कदम उठाए।
सुनवाई के दौरान अदालत ने महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद को बुलाकर पूछा कि एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट समय पर क्यों नहीं आ रही। जिस पर एजी ने कहा कि जांच रिपोर्ट समय पर लाने के लिए कई जगह पर प्रयोगशाला खोली गई है। राज्य सरकार डीएनए व एफएसएल जांच को लेकर गंभीर है। इसके अलावा आगामी बजट में भी नई प्रयोगशाला के लिए बजट में राशि मंजूर करवाई जाएगी। महाधिवक्ता ने अदालत को आश्वस्त किया कि एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट को कम समय में कोर्ट में पेश करवाया जाएगा, ताकि केसों की सुनवाई जल्दी पूरी हो सके।
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