Author: The Legal Lab | Date: 2025-03-01 21:42:14

परिचय

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि यदि कोई व्यक्ति या कंपनी लाभ कमाने के उद्देश्य से लोन लेती है, तो वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत 'उपभोक्ता' नहीं मानी जाएगी। यह फैसला उन सभी व्यापारिक संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है जो बैंक लोन को लेकर उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं।


मामले का विवरण

यह मामला एड ब्यूरो एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड बनाम सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से जुड़ा है।

📌 घटना का सारांश:

  • 2014 में, एड ब्यूरो ने रजनीकांत की फिल्म "कोचादयान" के पोस्ट-प्रोडक्शन के लिए ₹10 करोड़ का लोन लिया।
  • बाद में, लोन डिफॉल्ट हो गया और मामला Debt Recovery Tribunal (DRT) के पास चला गया।
  • एड ब्यूरो ने बैंक पर आरोप लगाया कि लोन सेटलमेंट के बावजूद, उसे CIBIL डिफॉल्टर के रूप में रिपोर्ट किया गया, जिससे उसकी प्रतिष्ठा और व्यवसाय को नुकसान हुआ।
  • इस मुद्दे पर एड ब्यूरो ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) में उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराई और ₹75 लाख का मुआवजा मांगा।

NCDRC ने बैंक को दोषी ठहराया और मुआवजा देने का आदेश दिया।


सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बैंक ने NCDRC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

⚖️ मुख्य बिंदु:
✔️ क्या उधारकर्ता उपभोक्ता है? – सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि लोन व्यावसायिक लाभ के लिए लिया गया है, तो उधारकर्ता उपभोक्ता नहीं हो सकता।
✔️ क्या बैंक सेवा में कमी कर रहा था? – कोर्ट ने माना कि यह बिजनेस-टू-बिजनेस ट्रांजैक्शन था, न कि उपभोक्ता सेवा का मामला।
✔️ क्या लोन ब्रांडिंग के लिए लिया गया था? – कोर्ट ने कहा कि ब्रांडिंग भी व्यवसाय का हिस्सा है, इसलिए यह व्यक्तिगत उपभोग नहीं माना जाएगा।


कानूनी आधार

📜 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(D)(ii)

  • इसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति व्यावसायिक उद्देश्य के लिए सेवा का उपयोग करता है, वह उपभोक्ता नहीं है।

📌 संबंधित केस:
🔹 श्रीकांत जी. मंत्री बनाम पंजाब नेशनल बैंक (2022) – स्टॉक ब्रोकर ने ओवरड्राफ्ट सुविधा ली थी, लेकिन उसे उपभोक्ता नहीं माना गया।
🔹 नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम हरसोलिया मोटर्स (2023) – इसमें भी कहा गया कि सेवा लेने का उद्देश्य अगर मुनाफा कमाना है, तो उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू नहीं होगा।


इस फैसले के प्रभाव

बैंकिंग सेक्टर को फायदा होगा – अब बिजनेस-लोन लेने वाले उपभोक्ता आयोग में शिकायत नहीं कर पाएंगे।
बिजनेस ओनर्स के लिए चुनौती – उन्हें अब DRT या सिविल कोर्ट में जाना होगा।
व्यक्तिगत उपभोक्ताओं के लिए राहत – यह फैसला सिर्फ बिजनेस ट्रांजैक्शन पर लागू होगा, व्यक्तिगत उपभोक्ताओं पर नहीं।


निष्कर्ष

इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया कि लोन लेने वाले सभी लोग उपभोक्ता नहीं होते। यदि लोन व्यक्तिगत उपयोग के लिए लिया गया है, तो उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू होगा। लेकिन यदि लोन व्यवसाय के लिए लिया गया है, तो बैंक के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती।

💡 क्या आप इस फैसले से सहमत हैं? अपने विचार कमेंट में बताएं!