Author: The Legal Lab | Date: 2025-04-12 10:03:25

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि कोई चालक खतरनाक सामग्री ले जाने वाले वाहन को बिना आवश्यक अनुमति के चलाता है, तो बीमा कंपनी मोटर वाहन अधिनियम की धारा के अंतर्गत “पे एंड रिकवर” यानी “भुगतान करें और वसूले” की नीति को लागू कर सकती है।

यह फैसला न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ द्वारा सुनाया गया, जिसमें कहा गया कि खतरनाक/विषैली पदार्थों का परिवहन एक अत्यंत जिम्मेदारी का कार्य है, और इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के तहत नियम 9 में निर्धारित विशेष प्रशिक्षण और अनुमति अनिवार्य है।


क्या है नियम 9 और इसका महत्व?

नियम 9 के अनुसार, जो चालक खतरनाक या विषैली सामग्री का परिवहन करता है, उसे विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  • सुरक्षात्मक (Defensive) ड्राइविंग

  • आपातकालीन स्थितियों से निपटने की क्षमता

  • परिवहन किए जा रहे उत्पाद की सुरक्षा

  • ड्राइविंग लाइसेंस पर विशेष अनुमोदन (Endorsement)

यह कोई महज़ औपचारिकता नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और चालक की दक्षता से जुड़ी एक कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है।


घटना का संक्षिप्त विवरण

यह मामला एक दुर्घटना से संबंधित है, जिसमें एक तेल टैंकर चालक ने एक पैदल यात्री और एक साइकिल सवार को टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मृत्यु हो गई। ये दोनों मृतक अपने परिवारों के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे।

जांच के दौरान यह पाया गया कि चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस तो था, लेकिन उसमें खतरनाक माल ले जाने की अनुमति नहीं थी। यह वाहन विशेष रूप से तेल जैसे खतरनाक पदार्थों के परिवहन के लिए डिज़ाइन किया गया था।


न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय का दृष्टिकोण

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह पीड़ित परिवारों को मुआवजा दे, लेकिन साथ ही उसे यह अधिकार दिया कि वह मुआवजे की राशि वाहन स्वामी से वसूल सके।

हाईकोर्ट ने भी इस निर्णय को बरकरार रखा।


सुप्रीम कोर्ट में अपील और निर्णय

वाहन स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए यह तर्क दिया कि:

“चूंकि दुर्घटना तेल या किसी खतरनाक पदार्थ की वजह से नहीं हुई थी, इसलिए नियम 9 का उल्लंघन असंगत है।”

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि:

“यह महत्वपूर्ण नहीं कि दुर्घटना किस कारण हुई। यह महत्वपूर्ण है कि वाहन में खतरनाक सामग्री लदी हुई थी और उसे चलाने के लिए चालक के पास वैधानिक अनुमति नहीं थी।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह उल्लंघन केवल "टेक्निकल" गलती नहीं है बल्कि कानूनी और सुरक्षा संबंधी गंभीर लापरवाही है।


"पे एंड रिकवर" सिद्धांत का समर्थन

कोर्ट ने यह भी दोहराया कि ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी से यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह पीड़ितों को मुआवजा दे, लेकिन वह अपनी दी गई राशि की वसूली वाहन मालिक से कर सकती है।

यह नीति संतुलन स्थापित करती है—एक तरफ पीड़ितों को समय पर न्याय मिलता है और दूसरी ओर वाहन स्वामी को कानून उल्लंघन के लिए उत्तरदायी भी ठहराया जाता है।


निष्कर्ष: वाहन स्वामियों और चालकों के लिए सबक

यह निर्णय वाहन स्वामियों और चालकों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि:

  1. खतरनाक पदार्थों के परिवहन के लिए नियम 9 के तहत आवश्यक अनुमति और प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है।

  2. केवल सामान्य ड्राइविंग लाइसेंस पर्याप्त नहीं होता।

  3. उल्लंघन की स्थिति में न सिर्फ मुआवजा भुगतना पड़ सकता है बल्कि बीमा सुरक्षा से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

नोट

यदि आप परिवहन व्यवसाय में हैं या अपने ड्राइवरों को खतरनाक पदार्थ ले जाने के लिए नियुक्त करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उनके पास रूल 9 के तहत उचित अनुमति हो। यह न सिर्फ कानून का पालन है, बल्कि मानव जीवन और आपकी वित्तीय सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी है।

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