
कन्नूर, केरल | 10 अप्रैल 2025
केरल के कन्नूर ज़िले की एक विशेष पोक्सो अदालत ने एक मदरसा टीचर को 13 साल की एक छात्रा से यौन शोषण के मामले में 187 साल की कठोर सज़ा सुनाई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी, जिसके तहत दोषी को वास्तविक रूप से 50 साल जेल में रहना होगा।
यह मामला 2020 से 2022 के बीच का है, जब भारत कोविड महामारी से जूझ रहा था। आरोपी मुहम्मद रफ़ी पहले ही 2018 में एक 10 साल की बच्ची के यौन शोषण मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं और जेल की सज़ा काट रहे थे।
कैसे खुला मामला
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची के व्यवहार में बदलाव देखकर माता-पिता ने उसे काउंसलर के पास भेजा, जहां उसने यौन हमलों की आपबीती बताई। सरकारी वकील शेरिमोल जोस ने बताया कि शिक्षक छात्रा को डरा-धमकाकर अपने क्लासरूम से लगे कमरे में ले जाकर बार-बार दुष्कर्म करता था।
187 साल की सज़ा का कानूनी आधार
सरकारी वकील ने बताया कि आरोपी को विभिन्न धाराओं में कुल 187 साल की सज़ा सुनाई गई है, जिसमें शामिल हैं:
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पोक्सो एक्ट सेक्शन 5(टी) – 50 साल जेल और ₹5 लाख जुर्माना
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सेक्शन 5(एफ) – शिक्षक के रूप में विश्वास तोड़ने पर 35 साल जेल
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सेक्शन 5(एल) – पुनः अपराध करने पर 35 साल
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सेक्शन 3(A) व 3(D) – ओरल सेक्स सहित कृत्यों के लिए 40 साल जेल
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आईपीसी 376(3) – नाबालिग से बलात्कार पर 25 साल
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आईपीसी 506(2) – आपराधिक धमकी के लिए 2 साल की सज़ा
हालांकि सज़ा की कुल अवधि 187 साल है, लेकिन इन्हें एक साथ चलाने के आदेश के चलते आरोपी को 50 साल तक जेल में रहना होगा।
कानूनी विशेषज्ञ भी हैरान
बीबीसी से बातचीत में पूर्व सरकारी वकील बीटी वेंकटेश ने कहा, “भारत में इतनी लंबी सज़ा असाधारण मानी जाती है। अमेरिका में यह आम है, लेकिन भारत में यह अदालत का स्पष्ट संदेश है कि ऐसे जघन्य अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।”
इससे पहले भी ऐसा मामला
उत्तर मालाबार क्षेत्र में यह दूसरा मामला है, जब इतनी लंबी सज़ा सुनाई गई हो। इससे पहले एक पादरी को 16 साल की छात्रा से रेप मामले में 60 साल की सज़ा सुनाई गई थी।
(इस रिपोर्ट का स्रोत: बीबीसी हिंदी)
पूरा लेख पढ़ने के लिए आप BBC Hindi की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
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