
प्रयागराज, 02 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि एनसीआर में चार्जशीट पर कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद उसी घटना को लेकर परिवाद नहीं चल सकता। कोर्ट ने कृष्ण पाल चावला केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एक ही घटना को लेकर एक से अधिक केस कार्यवाही नहीं चल सकती।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रेमनाथ मिश्र व पांच अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि इसमें शिकायतकर्ता की नहीं, ट्रायल कोर्ट की ग़लती है। जब ट्रायल कोर्ट ने एनसीआर में चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था तो परिवाद पर पुलिस रिपोर्ट मंगानी चाहिए थी। ऐसा न करके मजिस्ट्रेट ने वैधानिक गलती की है।
इसी के साथ कोर्ट ने एसीजेएम जौनपुर की अदालत में लम्बित परिवाद अजय बनाम प्रेमनाथ मिश्र एवं अन्य में गत 26 अप्रैल के आदेश को रद्द कर दिया है और प्रकरण वापस करते हुए एनसीआर में पुलिस की चार्जशीट पर विचार कर नए सिरे से आदेश करने का निर्देश दिया है।
मामले के तथ्यों के अनुसार दोनों पक्षों ने 13 मार्च 2023 को हुए झगड़े के बाद एक दूसरे पर एनसीआर दर्ज कराई थी। विवेचना अधिकारी ने एक पक्ष के केस में आईपीसी की धारा 323, 325, 504 के तहत और दूसरे की एनसीआर में धारा 323 व 504 में चार्जशीट दाखिल की। इस पर दूसरे वाले के शिकायतकर्ता ने आईपीसी की धारा 323, 452, 504 व 506 में परिवाद दाखिल किया। मजिस्ट्रेट ने परिवाद पर सीआरपीसी की धारा 200 के तहत परिवादी व 202 में गवाह का बयान दर्ज कर याची को सम्मन जारी किया, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी।
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