दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 में यह प्रवधानित किया गया था कि घटनास्थल जिस थाना की अधिकारिता क्षेत्र के अंतर्गत अवस्थित है उसी थाना में पीड़ित/ वादी/सूचक प्राथमिकी दर्ज कराने की पात्रता धारित करता था, परंतु भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173(1) के तहत कोई भी पीड़ित/ वादी/सूचक चाहे घटना कहीं भी घटित हुई हो, देश के किसी भी थाने में जाकर एफ.आई.आर. दर्ज करवा सकता हैं। एफ.आई.आर. दो तरीकों से दर्ज कराया जा सकता है । पहला थाने पर उपस्थित होकर लिखित/मौखिक रूप से शिकायत कर, दूसरा कही से भी किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से चाहे ह्वाट्सऐप हो, ई-मेल हो या अन्य कोई इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से।
इसे एक उदाहरण के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है -
A पटना से किशनगंज जा रहा है। खगड़िया में A के साथ लूट की घटना घटित हो जाती है। अब A अपना एफ.आई.आर, यदि A पास समय है तो, खगड़िया के घटना स्थल वाले संबंधित थाना में जाकर दर्ज करा सकता है, यदि समय नहीं है तो A ह्वाट्सऐप या ई-मेल के माध्यम से या अन्य इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से भी खगड़िया के उक्त संबंधित थाना को अपना आवेदन भेज सकता है। A की शिकायत दर्ज कर ली जायेगी। प्रावधान के अनुसार A को तीन दिनों के अंदर खगड़िया के घटना स्थल वाले संबंधित थाना पर जाकर प्रेषित आवेदन पर हस्ताक्षर बनाना होगा। प्रवधानानुसार, A हस्ताक्षर नहीं बनाता है तो A की प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में प्राथमिकी दर्ज कराने का एक नया तरीक़ा भी प्रावधानित किया गया है। यदि A खगड़िया में अपने को असुरक्षित पाता है, कोई बात नहीं! A सीधे किशनगंज प्रस्थान कर जाएगा। किशनगंज के किसी भी नज़दीकी थाने में जाकर A अपनी सुविधानुसार शिकायत दर्ज करा सकता है। A की प्राथमिकी घटनास्थल वाले खगाड़िया थाना में पहुँच जाएगी एवं अनुसंधान प्रारंभ हो जायेगा। (इसे ही शून्य प्राथमिकी या ज़ीरो एफ.आई.आर. नामित किया गया है।)
एफआईआर के कुछ अन्य प्रावधान निम्नवत है, जिसका पालन किया जाना पुलिस पदाधिकारी और न्यायायिक मजिस्ट्रेट दोनों के लिए आवश्यक है-
कोई घटना जो धारा 64(बलात्कार),65(सोलह/बारह वर्ष से कम उम्र के महिला के साथ बलात्कार), 66(धारा 64 के अधीन मृत्यु करती करने या पीड़ित की लगातार शारीरिक क्षीणता ), 67(अलग रहने के दौरान पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना), 68( प्राधिकार द्वारा शारीरिक संबंध) , 69(छल से शारीरिक संबंध बनाना), 70(गैंग रेप), 71(दुबारा बलात्कार संबंधित घटना कारित करना), 74(महिला पर शीलभंग करने की नीयत से आपराधिक बल का प्रयोग), 76(महिला को निर्वस्त्र करने के आशय से आपराधिक बल का प्रयोग), 77(रतिदर्शन), 78(पीछा करना), 79(महिला को अपमानित करने की नियत से ग़लत इशारा करना), 124 (एसिड से स्वेच्छतया हमला कर गंभीर चोट पहुँचाना) भारतीय न्याय संहिता से संबंधित है, वह महिला जिसके साथ अपराध की घटना घटित हुई है, स्वयं प्राथमिकी दर्ज कराना चाहती है, तो इस प्रकार का एफ.आई.आर. किसी महिला पुलिस पदाधिकारी या महिला पदाधिकारी द्वारा ही दर्ज की जायेगी किसी पुरुष पदाधिकारी द्वारा नहीं।
यदि उपरोक्त घटनाओं से संबंधित व्यक्ति अस्थाई या स्थाई तौर पर शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग है, तब इस प्रकार की प्राथमिकी संबंधित व्यक्ति के घर पर या उसके सुविधानुसार उसके इच्छित जगह पर दुभाषिया या विशेष शिक्षक (Special Educator) की उपस्थिति में लिखी जाएगी।
जब भी इस प्रकार की एफ.आई.आर. दर्ज की जायेगी उसका वीडियोग्राफ़ी कराना अनिवार्य होगा।
जैसे ही प्राथमिकी दर्ज होगी, पुलिस पदाधिकारी द्वारा वैसे व्यक्ति का यथाशीघ्र धारा 183(6)(a) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत न्यायायिक मजिस्ट्रेट के पास बयान दर्ज करवाया जायेगा।
वैसा मामला, जिसमें सजा तीन वर्ष या तीन वर्ष से अधिक है लेकिन सात वर्ष से कम है, और प्रथमदृष्टया संदिग्ध प्रकृति का प्रतीत होता है, वैसे मामलों में थानाध्यक्ष कम से कम पुलिस उपाधीक्षक स्तर के पदाधिकारी से पूर्व अनुमति प्राप्त कर जाँच कर व करवा सकता है। जाँच की प्रक्रिया किसी भी हालत में 14 दिनों से अधिक की नहीं होगी। यदि 14 दिनों के पहले ही जाँच पूरी हो जाती है और प्रथमदृष्टया घटना कारित होने का तथ्य परिलक्षित होता है, तो थानाध्यक्ष प्राथमिकी दर्ज कर हुए अनुसंधान प्रारंभ कर देगा।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पीड़ित नागरिकों/वादी/सूचक को ऐसी सुविधा प्रदान कर रहा है कि भय मुक्त होकर अपनी सुविधानुसार इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का भी सहारा लेकर प्राथमिकी दर्ज कराने में सबल हो सके। शिकायत दर्ज कराने में पीड़ित नागरिकों/वादी/सूचक की सुरक्षा एवं सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है।
आपको लेख/समाचार कैसा लगा, जरूर कमेन्ट करें । यदि आप भी कानून से जुड़ी कोई विचार या लेख प्रकाशित कराना चाहते है, तो हमें 9341877004 पर अपने नाम और पता के साथ लिखकर भेजे। लेख पसंद आया तो आपके नाम के साथ प्रकाशित किया जाएगा। यदि आप कानून से संबंधित अपने क्षेत्र कोई न्यूज देना चाहते है, तो व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क करें। कृपया कॉल न करें।
You Can give your opinion here