रांची, 9 जुलाई (हि.स.)। झारखंड हाई कोर्ट ने धनबाद में वर्ष 2011 में प्रस्तावित रिंग रोड के निर्माण कार्य शुरू नहीं किए जाने को गंभीरता से लिया है। इससे संबंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मंगलवार काे कोर्ट ने मौखिक कहा कि 13 वर्ष बीत जाने के बाद भी धनबाद में रिंग रोड के निर्माण का कार्य शुरू नहीं किया गया जबकि इसके लिए जमीन भी राज्य सरकार ने लोगों से अधिग्रहित कर ली है।
कोर्ट ने कहा कि जमीन अधिग्रहण को लेकर मुआवजा के रूप में सरकार ने 76 करोड़ रुपये भी खर्च कर दिया है लेकिन अब तक इसका निर्माण कार्य क्यों नहीं शुरू किया गया? जमीन अधिग्रहण होने से कई लोगों की जमीन चली गई लेकिन वर्षों बाद भी उनकी जमीन का सदुपयोग नहीं हुआ। कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल कर बताने को कहा है कि धनबाद में रिंग रोड बनाने को लेकर क्या कार्रवाई की गई? मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
इससे पूर्व याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 16 मई, 2011 को राज्य सरकार ने धनबाद में रिंग रोड बनाने के लिए अधिसूचना निकली थी। सरकार की एजेंसी झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार को रिंग रोड बनाने की जिम्मेदारी मिली थी लेकिन रिंग रोड के लिए कोई प्लान नहीं बनाया गया और इसका निर्माण कार्य 13 वर्षों के बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हुआ है। सरकार की ओर से वर्ष 2011 में ही धनबाद के धनसार, झरिया, मनाइटाड़ आदि जगह में लोगों की जमीन ली गई थी, जिसमें जमीन अधिग्रहण के मद में राज्य सरकार की ओर से 76 करोड़ रुपये की राशि को खर्च की गई थी।
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