Author: सोनालल सिंह, पुलिस उपाधीक्षक (से० नि०) | Date: 2023-07-21 11:27:47

आपराधिक कांड  का लंबित होना मात्र आर्म्स लाइसेंस रद्द करने या नहीं देने का आधार नहीं हो सकता

भारत में हथियारों के धारण और उपयोग को विनियमित करने के लिए आर्म्स लाइसेंस जारी किया जाता है। इसका उद्देश्य सामान्य जनता को सुरक्षित रखना और अवैध हथियारों के उपयोग को रोकना है।भारतीय आयुध अधिनियम 1959 की धारा 13 द्वारा भारतीय नागरिकों को आर्म्स लाइसेंस प्रदान  किया जाता है। वहीं भारतीय आयुध अधिनियम 1959 की धारा 14 अनुज्ञापन पदाधिकारी (licensing Authority) को किसी व्यक्ति को कुछ शर्तों के अधीन आर्म्स लाइसेंस देने से इन्कार करने कि शक्ति प्रदान करता है। कोई अनुज्ञापन प्राधिकारी किसी भी व्यक्ति को कोई भी अनुज्ञप्ति प्रदान करने से केवल इस आधार पर इन्कार नहीं करेगा कि ऐसे व्यक्ति के स्वामित्व या कब्जे में पर्याप्त सम्पत्ति नहीं है। जब कभी अनुज्ञापन प्राधिकारी किसी व्यक्ति को अनुज्ञप्ति देने से इन्कार करे, वहां वह ऐसे इन्कार के लिए कारण प्रदर्शित करेगा,और उनका संक्षिप्त कथन मांग किए जाने पर उस व्यक्ति को उस दशा के सिवाय देगा, जिसमें अनुज्ञापन प्राधिकारी की यह राय हो कि ऐसा कथन देना लोकहित में नहीं होगा।

आर्म्स लाइसेंस की आवश्यकता सामान्यतः अवैध हथियारों के उपयोग को रोकने के उद्देश्य से रखी जाती है, ताकि यह नियंत्रित रहे और उनका उपयोग केवल सुरक्षा और संरक्षण के लिए हो। आर्म्स लाइसेंस के अभाव में हथियारों के प्रयोग को अवैध माना जाता है और वह अपराध के तहत दण्डनीय होता है। भारतीय आयुध अधिनियम 1959 की धारा 15 अनुज्ञप्ति के नवीनीकरण की  प्रक्रिया बतलायी गई है, अनुज्ञप्ति नवीनीकरण में भी उन्ही प्रक्रियाओ का पालन करना होता है, जिन प्रक्रियाओ को अनुज्ञप्ति देते समय पालन किया जाता है। लाइसेन्स प्राप्ति के पश्चात लाइसेंसधारी को कई मानदंडों का पालन करना होता है, यदि लाइसेंसधारी उन मानदंडों को पूरा नहीं करते तो उनका लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है। 

 अक्सर एक प्रश्न आता है, क्या किसी व्यक्ति के विरुद्ध आपराधिक मामला लंबित हो तो उसका लाइसेन्स रद्द कर दिया जाएगा? या उसका नवीनीकरण नहीं होगा?

भारतीय आयुध अधिनियम 1959 की धारा 17 में अनुज्ञप्ति में फेरफार, उनका निलम्बन और प्रतिसंहरण (Variation, suspension and revocation) के संबंध मे प्रावधान किया गया  है।धारा 17 के अनुसार- 

अनुज्ञापन प्राधिकारी लिखित आदेश द्वारा अनुज्ञप्ति को ऐसी कालावधि के लिए, जैसा वह ठीक समझे, निलम्बित कर सकेगा या अनुज्ञप्ति को प्रतिसंहृत कर सकेगा,-

यदि अनुज्ञापन प्राधिकारी का समाधान हो जाए कि अनुज्ञप्ति का धारक, किसी आयुध या गोलाबारूद को अर्जित करने, अपने कब्जे में रखने या वहन करने से इस अधिनियम या किसी अन्य (law for the time being in force) द्वारा प्रतिषिद्ध (Prohibited) है या विकृत-चित्त (unsound mind) का है या इस अधिनियम के अधीन अनुज्ञप्ति के लिए किसी कारण से अयोग्य है ;अथवा

यदि अनुज्ञापन प्राधिकारी अनुज्ञप्ति को निलंबित करना या प्रतिसंहृत करना लोक शान्ति की सुरक्षा के लिए या लोकक्षेम के लिए आवश्यक समझे ; अथवा

 यदि अनुज्ञप्ति तात्त्तकि जानकारी दबाकर (suppression of material information) या उसके लिए आवेदन करने के समय अनुज्ञप्ति के धारक द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई गलत जानकारी के आधार पर अभिप्राप्त की गई थी ;अथवा

 यदि अनुज्ञप्ति की शर्तों में से किसी का भी उल्लंघन किया गया है,अथवा

यदि अनुज्ञप्ति का धारक, अनुज्ञप्ति के परिदान की अपेक्षा करने वाली उपधारा (1) के अधीन सूचना का अनुपालन करने में असफल रहा है।

अनुपालन प्राधिकारी, अनुज्ञप्ति का प्रतिसंहरण उसके धारक के आवेदन पर भी कर सकेगा ।

वह न्यायालय जो किसी अनुज्ञप्ति के धारक को इस अधिनियम के या तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराए, उस अनुज्ञप्ति को निलम्बित या प्रतिसंहृत भी कर सकेगा :

परन्तु यदि दोषसिद्धि अपील में या अन्यथा अपास्त कर दी जाए तो निलम्बन या प्रतिसंहरण शून्य हो जाएगा ।

उपधारा (7) के अधीन निलम्बन या प्रतिसंहरण का आदेश, अपील न्यायालय द्वारा या उच्च न्यायालय द्वारा भी, जब कि वह पुनरीक्षण की अपनी शक्तियों का प्रयोग कर रहा हो, किया जा सकेगा ।

केन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में आदेश द्वारा, इस अधिनियम के अधीन सब या किन्हीं भी अनुज्ञप्तियों को भारत भर के लिए या उसके किसी भी भाग के लिए निलम्बित या प्रतिसंहृत कर सकेगी या निलम्बित या प्रतिसंहृत करने के लिए किसी भी अनुज्ञापन प्राधिकारी को निदेश दे सकेगी।

                                          अब प्रश्न उठता है कि क्या किसी व्यक्ति के ऊपर आपराधिक मामला लंबित है तो उस व्यक्ति का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है?

अभी हाल ही में केरल के एक व्यावसायी  का  'शस्त्र लाइसेंस' आपराधिक मामला दर्ज होने के कारण संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के द्वारा नवीनीकरण से इन्कार कर दिया गया। जिला मजिस्ट्रेट के आदेश से क्षुब्ध होकर उक्त व्यवसायी ने केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायमूर्ति पी.वी.कुन्हिकृष्णन की एकल पीठ ने मामले को स्वीकार कर लिया है और राज्य अधिकारियों से जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता, तिरुवनंतपुरम जिले एवं उसके आसपास बिल्डिंग निर्माण की गतिविधियों में शामिल है, ने कहा कि उसके व्यवसाय में उसके जीवन और संपत्ति का जोखिम शामिल है, जिसके कारण उसने 'शस्त्र लाइसेंस' के लिए आवेदन किया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका शस्त्र लाइसेंस 1992 से जारी किया गया था और तब से लगातार नवीनीकृत किया गया है। उसने आगे कहा कि आत्म-सुरक्षार्थ  सभी  कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद उसे पिस्टल का लाइसेंस प्रदान किया गया है। 

पुलिस ने अपने प्रतिवेदन में याचिकाकर्ता के जीवन और संपत्ति को कोई खतरा नहीं माना। आवेदक के नवीनीकरण आवेदन पर विचार करते समय, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने आईजी और सिटी पुलिस द्वारा उठाई गई आपत्ति पर ध्यान दिया और पाया कि याचिकाकर्ता एक आपराधिक मामले में आरोपी है।  साइबर सुरक्षा विभाग के पुलिस आयुक्त ने भी बताया था कि मामले की फिर से जांच की जा रही है और  अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने इसे ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मामले में अपने बरी होने के संबंध में अदालत का आदेश पेश करने में असमर्थ था, और वह जीवन और संपत्ति के लिए अपने खतरे को साबित करने में भी असमर्थ था, उसके आवेदन को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता का तर्क है कि वह शस्त्र लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए "कानूनी रूप से हकदार" है, जब तक कि शस्त्र अधिनियम की धारा 14 के तहत इनकार करने के लिए कोई विशिष्ट आधार मौजूद नहीं है, जो उन आधारों को निर्धारित करता है जिसके तहत शस्त्र लाइसेंस से इनकार किया जा सकता है।

इसी तरह रजनीश सिंह @ रजनीश कुमार @ चुहवा बनाम बिहार राज्य सिविल रिट क्षेत्राधिकार केस नंबर 3709, 2020 में माननीय पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि आर्म्स लाइसेंस रद्द करने को उचित ठहराने के लिए सिर्फ शिकायत पर्याप्त नहीं है, सार्वजनिक शांति या सुरक्षा भंग करने के साक्ष्य होने चाहिए। अदालत ने अपने टिप्पणी में कहा कि “भले ही सनहा दर्ज किया गया हो, लेकिन इसे याचिकाकर्ता के लाइसेंस को रद्द करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं कहा जा सकता है, जब तक कि इससे सार्वजनिक शांति या सार्वजनिक सुरक्षा की सुरक्षा के उल्लंघन की घटना न हो।"

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ सिर्फ आपराधिक मामला लंबित रहना या शिकायत दर्ज होना आर्म्स लाइसेन्स रद्द करने का पर्याप्त आधार नहीं है जबतक कि उस व्यक्ति के आर्म्स से सार्वजनिक शांति या सार्वजनिक सुरक्षा की खतरा आशंकित न हो।