Author: | Date: 2023-05-29 20:28:40

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में प्रवेश के लिए उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक की पात्रता मानदंड के खिलाफ याचिका खारिज कर दी।जिसपर covid -19 महामारी के दौरान छूट दी गई थी, लेकिन बाद में इसे लागू कर दिया गया था।

                         न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने कहा कि अदालत इस मामले में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है और बताया कि यह शर्त पहले भी मौजूद थी। पीठ ने जोर देकर कहा कि ये शिक्षा के मामले हैं और "ऐसा मामला नहीं है जिसमें हम जाना चाहते हैं"।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि छात्रों को कोविड महामारी के दौरान छूट दी गई थी और छात्रों ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा-मुख्य में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। वकील ने कहा कि आवेदक ने जेईई मेन्स में 92 पर्सेंटाइल स्कोर किया है और जेईई एडवांस में शामिल होने के योग्य है लेकिन आवेदक का बोर्ड परीक्षा स्कोर 75 प्रतिशत से कम है। वकील ने जोर देकर कहा कि ये छात्र मेधावी हैं और अदालत से उन्हें अनुमति देने का आग्रह किया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं मिलता है। अतः रिट याचिका खारिज की जाती है। लंबित आवेदन (आवेदनों) का निस्तारण किया जाता है।"

शीर्ष अदालत ने आईआईटी में दाखिले के लिए 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंकों की पात्रता मानदंड को चुनौती देने वाली चंदन कुमार और अन्य की याचिका पर यह आदेश पारित किया।