विधायक प्रेम शंकर यादव को एम पी / एम एल ए कोर्ट गोपालगंज ने सुनाई सजा:
Best Sellers in Home & Kitchenदिनाक 5.11.2022 को विशेष माननीय न्यायाधीश श्री मानवेंद्र मिश्रा एम पी / एम एल ए कोर्ट गोपालगंज ने प्रेमशंकर यादव, बैकुंठपुर विधायक, किरण राय पूर्व विधायक को भारतीय दंड संहिता कि धारा 188/34 के तहत दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
पूरा मामला वर्ष 2019 का है जब लोक सभा आम निर्वाचन के दौरान इन लोगों द्वारा धारा 144 द.प्र.स. का उलँघन करते हुए अपने समर्थकों के साथ बिना अनुमति के चुनाव प्रचार हेतु जुलूस निकाला था, जिसमें अञ्चल अधिकारी थावे द्वारा गोपालगंज थाने में आईपीसी कि धारा 188/34 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
माननीय न्यायाधीश ने इन्हे दोषी पाते हुए प्रत्येक अभियुक्तों को 200 रुपए कि अर्थ दंड की सजा सुनाई।
जानिए क्या है 188 आईपीसी
भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार,
जो भी कोई यह जानते हुए कि वह ऐसे लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित किसी आदेश से, जिसे प्रख्यापित करने के लिए लोक सेवक विधिपूर्वक सशक्त है, कोई कार्य करने से बचे रहने के लिए या अपने कब्जे या प्रबन्धाधीन, किसी संपत्ति के बारे में कोई विशेष व्यवस्था करने के लिए निर्दिष्ट किया गया है, ऐसे निदेश की अवज्ञा करेगा;
यदि ऐसी अवज्ञा – विधिपूर्वक नियुक्त व्यक्तियों को बाधा, क्षोभ या क्षति, अथवा बाधा, क्षोभ या क्षति का जोखिम कारित करे, या कारित करने की प्रवॄत्ति रखती हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास की सजा जिसे एक मास तक बढ़ाया जा सकता है, या दौ सौ रुपए तक के आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा;
और यदि ऐसी अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को संकट कारित करे, या कारित करने की प्रवॄत्ति रखती हो, या उपद्रव या दंगा कारित करती हो, या कारित करने की प्रवॄत्ति रखती हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे छह मास तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक के आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण–यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी का आशय क्षति उत्पन्न करने का हो या उसके ध्यान में यह हो कि उसकी अवज्ञा करने से क्षति होना संभाव्य है । यह पर्याप्त है कि जिस आदेश की वह अवज्ञा करता है, उस आदेश का उसे ज्ञान है, और यह भी ज्ञान है कि उसके अवज्ञा करने से क्षति उत्पन्न होती या होनी संभाव्य है।
लागू अपराध
लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा।
- यदि ऐसी अवज्ञा – विधिपूर्वक नियुक्त व्यक्तियों को बाधा, क्षोभ या क्षति, कारित करे।
सजा – एक मास सादा कारावास या दौ सौ रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
- यदि ऐसी अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को संकट कारित करे –
सजा – छह मास कारावास या एक हजार रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
मुख्य रूप से भारतीय दंड संहिता की धारा 188 में, किसी भी लोक सेवक के द्वारा जारी किए गए आदेश को न मानने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान दिया गया है। इसके मुताबिक, “जो कोई भी जानबूझकर लोक सेवक के आदेश की अवमानना करता है, उसको जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.”
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