Author: एजेंसी समाचार | Date: 2024-08-06 19:35:51

नई दिल्ली, 06 अगस्त (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के चेयरमैन आरवी अशोकन की ओर से एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ टिप्पणी पर मात्र एक मीडिया संस्थान के माफी मांगे जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अशोकन का माफीनामा सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाना चाहिए। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने अशोकन को निर्देश दिया कि उन सभी अखबारों में माफीनामा छपवाना होगा, जिनमें उनके इंटरव्यू प्रकाशित हुए थे। कोर्ट ने कहा कि अशोकन यह माफीनामा आईएमए के खर्चे पर नहीं, बल्कि खुद के खर्चे पर छपवाएंगे। मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।

कोर्ट ने कहा कि आईएमए अध्यक्ष प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को अपना माफी भेज कर पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं। उन्हें माफीनामे को उन सभी अखबारों में प्रकाशित कराना चाहिए, जिनमें उनका साक्षात्कार छपा था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डॉ. अशोकन अपने लिए और अधिक मुसीबतें मोल ले रहे हैं। इस पर अशोकन की ओर से पेश वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि अशोकन खुद को अवमानना के आरोप से मुक्त करने के लिए उचित कदम उठाएंगे।

इसके पहले सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद ने कहा था कि उसने उन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी है, जिनके लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने रद्द कर दिए थे। कोर्ट ने कथित भ्रामक विज्ञापन मामले में वकील शादान फरासत को एमिक्स नियुक्त किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को दवाओं के भ्रामक विज्ञापन के मामले पर सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से प्रकाशित माफीनामा की भाषा पर संतोष जताया था लेकिन उनके वकीलों की तरफ से अखबार का पूरा पन्ना रिकॉर्ड पर न रखने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने अखबार का पूरा पन्ना दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को आगे की सुनवाई में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी थी।

सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने बताया था कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इंटरव्यू देकर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एलोपैथी डॉक्टरों के बारे में की गई टिप्पणी की आलोचना की थी। जजों ने इसे रिकॉर्ड पर रखने को कहा था।

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