जस्टिस डॉ. अंशुमान ने राधाचरण साह की जमानत याचिका पर वरीय अधिवक्ता एसडी संजय एवं केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल डॉक्टर केएन सिंह को सुनने के बाद बुधवार को यह आदेश दिया। इस मामले में जांच एजेंसी आरोप पत्र भी समर्पित कर चुकी है। राधाचरण साह एवं उनके पुत्र कन्हैया प्रसाद पर बालू के अवैध सिंडिकेट में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ कारोबार करने का आरोप है, जिसमें इनकी भी हिस्सेदारी है।
याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एसडी संजय ने कोर्ट को बताया कि ऐसी कोई सबूत नहीं है, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता ने कंपनी में कोई निवेश किया है। उन्होंने दलील दी कि आरोप पत्र में कुल 56 गवाह हैं, जिनकी गवाही में काफी समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अधिकतम सात वर्ष की सजा हो सकती है। ऐसी स्थिति में अभियुक्त को नियमित जमानत पर रिहा किया जाये।
उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में अन्य लोगों के अलावा राधाचरण साह और कन्हैया प्रसाद पर भी प्राथमिक दर्ज कर पूछताछ किया था। पूछताछ में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर इन लोगों को जेल भेजा गया था।
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