रांची, 18 जुलाई (हि.स.)। झारखंड हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान झारखंड के प्रधान स्वास्थ्य सचिव से पूछा है कि झारखंड में बगैर लाइसेंस के खुल रहे नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटलों पर क्या कार्रवाई की जा रही है।
गुरुवार काे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बी सारंगी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कोर्ट में वर्चुअल उपस्थित रहे स्वास्थ्य सचिव से यह भी पूछा है कि नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटलों में फायर फाइटिंग की सुविधा, बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम आदि की व्यवस्था है या नहीं इसकी भी जानकारी दें। हाई कोर्ट ने इन दोनों बिंदुओं पर स्वास्थ्य सचिव से विस्तृत जवाब मांगा है।
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव से मौखिक कहा कि राजधानी रांची सहित झारखंड के कई जिलों में बिना रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटलों कैसे संचालित हो रहे हैं? इसपर स्वास्थ्य सचिव की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अस्पताल एवं नर्सिंग होम को खोलने के लिए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पहले प्रोविजनल लाइसेंस मिलता है, बाद में इन्हें स्थाई लाइसेंस दिया जाता है लेकिन नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटलों को स्थाई लाइसेंस देने में समय की अवधि ज्यादा लग जाती है। इस कारण बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल संचालित होते रहते हैं। इस पर कोर्ट ने उनसे कहा कि आप मानते हैं कि इसमें सरकार की इसमें गलती है, आप इंस्पेक्शन क्यों नहीं करते हैं, जिससे अवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटलों पर रोक लगा सके। कोर्ट ने हॉस्पिटलों के लाइसेंस के संबंध में कानून को सख्ती से पालन करने का निर्देश स्वास्थ्य सचिव को दिया।
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