कोलकाता, 11 जुलाई (हि.स.)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को सोमवार रात में ढोलाहाट की पुलिस हिरासत में मारे गए अबू सिद्दिक हलदर के शव परीक्षण की वीडियो रिकॉर्डिंग संरक्षित करने का निर्देश दिया। मृतक के परिवार के सदस्यों ने बुधवार को जस्टिस अमृता सिन्हा की पीठ के समक्ष इस मामले में विस्तृत और स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए एक याचिका दायर की।
पीठ के समक्ष जब गुरुवार को मामला सुनवाई के लिए आया तो राज्य सरकार के वकील ने हिरासत में यातना के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि हलदर की मौत उनके शरीर में यूरिया और क्रिएटिनिन के स्तर में वृद्धि के कारण हुई थी। जब जस्टिस सिन्हा ने ढोलाहाट पुलिस स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज मांगी तो राज्य सरकार के वकील ने सूचित किया कि कैमरा काफी समय से काम नहीं कर रहा था। इसके बाद जस्टिस सिन्हा ने अबू सिद्दिक हलदर के शव के पोस्टमार्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग को संरक्षित करने का आदेश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
अबू सिद्दिक हलदर को 30 जून को गहने चोरी के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उसे हिरासत में पीटा गया था, जो चार जुलाई को जिला अदालत में पेश होने पर दिखाई देने वाली चोटों से स्पष्ट था। उसे चार जुलाई को दक्षिण 24 परगना जिला अदालत ने जमानत पर रिहा किया था। इसके बाद उसे एक स्थानीय अस्पताल में भेजा गया, जहां प्रारंभिक इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। उसकी मां तसलीमा बीबी ने दावा किया कि घर वापस आने पर उसकी स्थिति बिगड़ने लगी, तो उसे कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। बाद में उसे और उपचार के लिए एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, लेकिन सोमवार देर रात उसकी मृत्यु हो गई। पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने अदालत को बताया कि उन्हें उसकी जमानत सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को 1.75 लाख रुपये की रिश्वत देनी पड़ी।
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