Author: | Date: 2023-05-31 20:56:25

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि कम CIBIL (क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड) स्कोर के आधार पर एक स्टूडेंट को एजुकेशन लोन देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

 "छात्र कल के राष्ट्र निर्माता हैं। उन्हें भविष्य में इस देश का नेतृत्व करना है। बैंकों को एजुकेशन लोन के लिए किए गए आवेदनों पर विचार करते समय 'मानवीय दृष्टिकोण' अपनाना चाहिए। उक्त बातें जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने एजुकेशन लोन के लिए एक मामले पर विचार करते हुए कहा। 

कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि छात्र ने एजुकेशन लोन के लिए आवेदन किया है, उसका सिबिल स्कोर कम है , बैंक को एजुकेशन लोन के लिए किए गए आवेदन को रिजेक्ट नहीं करना चाहिए।

संप्रति मामले में याचिकाकर्ता, जो एक छात्र है, ने दो लोन लिए थे, जिनमें से एक रु. 16,667/- का बकाया था, और दूसरे लोन को बैंक द्वारा बट्टे खाते (written off) में डाल दिया गया था। इन कारणों से याचिकाकर्ता का सिबिल स्कोर कम था।                     याचिकाकर्ता के वकीलों द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जब तक राशि तुरंत प्राप्त नहीं होती, याचिकाकर्ता मुश्किल में पड़ जाएगा। वकील ने प्रणव एस.आर. बनाम शाखा प्रबंधक और अन्य (2020) मामले पर भरोसा जताया, जिसमें न्यायालय ने माना था कि एक छात्र के माता-पिता का असंतोषजनक क्रेडिट स्कोर शैक्षिक ऋण को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता है, क्योंकि शिक्षा के बाद छात्र की चुकौती क्षमता के अनुसार निर्णायक कारक होना चाहिए। इस मामले में वकीलों का कहना था कि याचिकाकर्ता को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से नौकरी का प्रस्ताव मिला था और इस तरह वह पूरी लोन राशि चुकाने में सक्षम होगा।

 दूसरी ओर, प्रतिवादियों के वकीलों ने अंतरिम आदेश दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि, याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित एवं भारतीय बैंक संघ द्वारा तैयार की गई योजना के विरुद्ध होगा। 

आगे कहा गया कि साख सूचना कंपनी अधिनियम, 2005, साख सूचना कंपनी नियम, 2006 और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी परिपत्र वर्तमान याचिकाकर्ता की स्थिति में ऋण के अदायगी पर रोक लगाते हैं। 

 कोर्ट ने कहा कि यह सच है कि कुछ कानूनी विवाद उत्तरदाताओ की ओर से उपस्थित अधिवक्ता  द्वारा  उठाया गया है, लेकिन सुविधाओ के संतुलन को देखते हुए मेरी राय याचिकाकर्ता के पक्ष मे है। याचिककर्ता एक छात्र है, जिसकी पढ़ाई 31.05.2023 को पूरी हो रही है, और ओमान में नौकरी भी लगी है। 

अदालत ने उत्तरदाताओं को 4, 07,200/- तत्काल याचिकाकर्ता के कॉलेज को भुगतान करने का निर्देश देते हुए कहा, "यहां एक मामला है, जहां याचिकाकर्ता ने नौकरी की पेशकश भी प्राप्त की। बैंक अति तकनीकी हो सकते हैं, लेकिन कानून की अदालत जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।" 

केस टाइटल: नोएल पॉल फ्रेडी बनाम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और अन्य।

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट जॉर्ज पूनथोट्टम, और एडवोकेट निशा जॉर्ज और एन मारिया फ्रांसिस 

एसबीआई की ओर से सरकारी वकील जितेश मेनन, सीनियर एडवोकेट के.के. चंद्रन पिल्लई और एडवोकेट अंबिली एस उपस्थित हुए। 

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