प्रयागराज, 10 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीमा कम्पनी ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण मुरादाबाद के पीठासीन अधिकारी की ईमानदारी व निष्ठा पर सवाल खड़ा किया है। बीमा कम्पनी के सवाल खड़ा करने के बाद हाईकोर्ट ने जिला जज को केस पत्रावली सहित उनके सेवानिवृत्ति से एक माह के भीतर तय 182 केस का रिकॉर्ड रखने वाले कम्प्यूटर को जब्त करने का निर्देश दिया है।
बीमा कम्पनी ने दावा अधिकरण के अवार्ड के खिलाफ दाखिल अपील में पीठासीन अधिकारी पर आरोप लगाया कि बिना तिथि तय किए मनमाना अवार्ड पारित कर दिया गया है। कहा कि उन्होंने सेवानिवृत्ति के एक माह के भीतर ऐसे 182 अवार्ड दिए हैं। कम्पनी ने पीठासीन अधिकारी के आचरण को अनुचित व बेईमानी पूर्ण होने की सम्भावना व्यक्त करते हुए शिकायत भी की है।
हाईकोर्ट ने मुद्दे को विचारणीय माना और अपील पर विपक्षी मुन्नी देवी व 7 अन्य को नोटिस जारी की है तथा केस की पत्रावली तलब की है। हाईकोर्ट ने 45 लाख, 52 हजार 540 रुपये 7 फीसदी ब्याज सहित पारित अवार्ड के अमल पर रोक लगा दी है। वैधानिक प्रक्रिया के तहत बीमा कम्पनी द्वारा जमा 25 हजार रूपये फिक्स डिपॉजिट करने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने अपील व आदेश की प्रति मुरादाबाद के प्रशासनिक न्यायमूर्ति को सूचनार्थ भेजने को भी कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन चन्द्र दीक्षित ने आई सी आई सी आई लोम्बर्ड जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड की आदेश के खिलाफ प्रथम अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।
मालूम हो कि, श्रीमती मुन्नी देवी व अन्य ने लेखराज व बीमा कम्पनी के खिलाफ दुर्घटना दावा दाखिल किया। कंपनी का कहना है कि पीठासीन अधिकारी ने ऐंटी डेटेड अवार्ड जारी किया है। अवार्ड की 14 मार्च 24 की तारीख पहले से तय नहीं थी। यह भी आरोप लगाया कि सेवानिवृत्त होने से एक महीने की भीतर 182 केस तय कर दिए गए हैं। पीठासीन अधिकारी के आचरण को लेकर शिकायत भी की है और 14 मार्च को जारी अवार्ड को चुनौती दी है।
सीनियर न्यायिक अधिकारी के ईमानदारी व निष्ठा पर बीमा कम्पनी ने खड़ा किया सवाल
Author: एजेंसी समाचार | Date: 2024-08-10 19:55:04
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