यासिन मलिक अपनी फांसी की सजा की मांग पर हाई कोर्ट में खुद रखेगा दलील, 15 सितंबर को सुनवाई

Author: एजेंसी समाचार | Date: 2024-08-09 14:00:25

नई दिल्ली, 09 अगस्त (हि.स.)। हत्या और टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार यासिन मलिक नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की ओर से फांसी की सजा की मांग के मामले पर कोर्ट में खुद दलीलें रखेगा। यासिन मलिक को आज सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया। मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यासिन मलिक से पूछा कि अगर आप अपनी मदद के लिए कोई वकील नियुक्त करना चाहते हैं तो अपनी पसंद के वकील का नाम बताएं। यासिन मलिक ने हाई कोर्ट के इस ऑफर को ठुकराते हुए कहा कि वे खुद अपनी पैरवी करेंगे और दलीलें रखेंगे। मलिक ने कहा कि उसने ट्रायल कोर्ट में भी खुद ही दलीलें रखी थीं और एनआईए उसे ट्रायल कोर्ट में फिजिकली पेश करती थी। हमें ये नहीं समझ आ रहा है कि हाई कोर्ट में फिजिकली पेश करने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है। मलिक ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में पेशी के दौरान कभी कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा नहीं हुई। तब कोर्ट ने कहा कि ये 2023 का हाई कोर्ट का ही आदेश है। आपको इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी होगी। तब मलिक ने कहा कि वो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही दलीलें रख लेगा लेकिन उसके आग्रह को रिकॉर्ड पर लिया जाए।

इसके पहले 11 जुलाई को हाई कोर्ट के जज जस्टिस अमित शर्मा इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। ये मामला जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच में लिस्टेड था। जस्टिस अमित शर्मा ने 2010 में एनआईए की ओर से बतौर अभियोजक काम किया था। इस वजह से उन्होंने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। हाई कोर्ट ने एनआईए की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 मई 2023 को यासिन मलिक को नोटिस जारी किया था।

सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने यासिन मलिक के ऊपर लगे आरोपों को सही पाया था। उन्होंने कहा था कि यह अजीब है कि कोई भी देश की अखंडता को तोड़ने कोशिश करे और बाद में कहे कि मैं अपनी गलती मानता हूं और ट्रायल का सामना न करे। यह कानूनी रूप से सही नहीं है। उन्होंने कहा था कि एनआईए के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मलिक ने कश्मीर के माहौल को बिगड़ने की कोशिश की।

मेहता ने कहा था कि वह लगातार सशस्त्र विद्रोह कर रहा था। वो सेना के जवानों की हत्या में शामिल रहा, कश्मीर को अलग करने की बात करता रहा। क्या यह दुर्लभतम मामला नहीं हो सकता। मेहता ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले में मौत की सजा का भी प्रावधान है। ऐसे अपराधी को मौत की सजा मिलनी चाहिए।

मेहता ने कहा था कि यासिन मलिक वायुसेना के चार जवानों की हत्या में शामिल रहा। उसके सहयोगियों ने तत्कालीन गृह मंत्री की बेटी रुबिया सईद का अपहरण किया। उसके बाद उसके अपहरणकर्ताओं को छोड़ा गया जिन्होंने बाद में मुंबई बम ब्लास्ट को अंजाम दिया। हाई कोर्ट ने मेहता से पूछा कि आप जवानों को मारने की बात कह रहे हैं। वह विचार कहां हुआ, आप वो बताइए। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में 4 वायु सेना के अधिकारियों की हत्या का जिक्र कहां है। इस आदेश में तो पत्थरबाजी में शमिल होने की बात कहीं गई है। मेहता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि चार वायु सेना के अधिकारियों की हत्या का मामला फैसले की कॉपी में नहीं है।

पटियाला हाउस कोर्ट ने 25 मई, 2022 को हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने यासिन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत दस साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यासिन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये की सजा प्रभावी होगी।

यासिन मलिक ने 10 मई, 2022 को अपना गुनाह कबूल कर लिया था। कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तयैबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।
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