जब भी कोई विधि का निर्माण होता है तो सबसे पहले विधि में आने वाले शब्दों को परिभाषित किया जाता है, एवं बताया जाता है कि संबंधित विधि में उस शब्द का क्या मायने होगा। भारतीय दंड संहिता में भी इसी तरह से आने वाले शब्दों को परिभाषित किया गया है, जब तक उन शब्दों के मायने को नहीं समझा जाएगा तब तक आप उस कानून के प्रावधानों की सही व्याख्या नहीं कर पाएंगे। इसलिए जब भी कोई विधि का अध्ययन करें, सबसे पहले उस में आए शब्दों के पहले मायने को समझना चाहिए।
भारतीय दंड संहिता में जीवन शब्द को भी परिभाषित किया गया है। दंड प्रक्रिया संहिता के धारा 45 के अनुसार
“जब तक कि संदर्भ (context) से तत्प्रतिकूल प्रतीत (contrary appears) न हो, जीवन शब्द (Life Word) मानव (human) के जीवन का द्योतक (Denotes the life) है.”
अतः साधारण शब्दों में कहे तो भारतीय दंड संहिता में जीवन का सीधा संबंध मानव जीवन से है
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