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300. एक बार दोषसिद्ध या दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का उसी अपराध के लिए विचारण न किया जाना --
301. लोक अभियोजकों द्वारा हाजिरी -- 
302. अभियोजन का संचालन करने की अनुज्ञा -- 
303. जिस व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही संस्थित की गई है उसका प्रतिरक्षा कराने का अधिकार -
304. कुछ मामलों में अभियुक्त को राज्य के व्यय पर विधिक सहायता --
305. प्रक्रिया, जब निगम या रजिस्ट्रीकृत सोसायटी अभियुक्त है -- 
306. सह-अपराधी को क्षमा-दान -- 
307. क्षमादान का निदेश देने की शक्ति --
308. क्षमा की शर्तों का पालन न करने वाले व्यक्ति का विचारण -- 
309. कार्यवाही को मुल्तवी या स्थगित करने की शक्ति --
310. स्थानीय निरीक्षण -- 
311. आवश्यक साक्षी को समन करने या उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा करने की शक्ति -
311-क. नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेख देने के लिए किसी व्यक्ति को आदेश देने की मजिस्ट्रेट की शक्ति --
312. परिवादियों और साक्षियों के व्यय --
313. अभियुक्त की परीक्षा करने की शक्ति --
314. मौखिक बहस और बहस का ज्ञापन --
315. अभियुक्त व्यक्ति का सक्षम साक्षी होना --
316. प्रकटन उत्प्रेरित करने के लिए किसी असर का काम में न लाया जाना -- 
317. कुछ मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में जांच और विचारण किए जाने के लिए उपबंध --
318. प्रक्रिया जहाँ अभियुक्त कार्यवाही नहीं समझता है --
319. अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति --
20. अपराधों का शमन --
321. अभियोजन वापस लेना--
322. जिन मामलों का निपटारा मजिस्ट्रेट नहीं कर सकता, उनमें प्रक्रिया --
323. प्रक्रिया जब जांच या विचारण के प्रारंभ के पश्चात् मजिस्ट्रेट को पता चला है कि मामला सुपुर्द किया जाना चाहिए -
324. सिक्के, स्टाम्प-विधि या संपत्ति के विरुद्ध अपराधों के लिए तत्पूर्व दोषसिद्ध व्यक्तियों का विचारण --
325. प्रक्रिया जब मजिस्ट्रेट पर्याप्त कठोर दण्ड का आदेश नहीं दे सकता --
326. भागतः एक न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा और भागतः दूसरे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित साक्ष्य पर दोषसिद्धि या सुपुर्दगी --
327. न्यायालयों का खुला होना --