335. Voluntarily causing grievous hurt on provocation -

Author: | Date: 2022-11-13 20:03:54

335. प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना -

जो कोई गंभीर और अचानक प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, यदि न तो उसका आशय उस व्यक्ति से भिन्न, जिसने प्रकोपन दिया था, किसी व्यक्ति को घोर उपहति कारित करने का हो और न वह अपने द्वारा ऐसी उपहति कारित किया जाना संभाव्य जानता हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि चार वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।  

स्पष्टीकरण - अंतिम दो धाराएं उन्हीं परन्तुकों के अध्यधीन हैं, जिनके अध्यधीन धारा 300 का अपवाद 1 है।

335. Voluntarily causing grievous hurt on provocation -

Whoever voluntarily causes grievous hurt on grave and sudden provocation, if he neither intends nor knows himself to be likely to cause grievous hurt to any person other than the person who gave the provocation, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to four years, or with fine which may extend to two thousand rupees, or with both.

Explanation - The last two sections are subject to the same provisos as Exception I, section 300.