203. Giving false information respecting an offence committed -
Author: | Date:
2022-11-12 20:42:12
203. किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देना –
जो कोई यह जानते हुए, या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए, कि कोई अपराध किया गया है उस अपराध के बारे में कोई ऐसी इत्तिला देगा, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से, दण्डित या जाएगा। स्पष्टीकरण – धारा 201 और 202 में और इस धारा में “अपराध’ शब्द के अन्तर्गत भारत के बाहर किसी स्थान पर किया गया कोई भी ऐसा कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो निम्नलिखित धारा अर्थात् 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 402, 435, 436, 449, 450, 457, 458,459 तथा 460 में से किसी भी धारा के अधीन दण्डनीय होता ।
203. Giving false information respecting an offence committed -
Whoever knowing or having reason to believe that an offence has been committed, gives any information respecting that offence which he knows or believes to be false, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
Explanation — In sections 201 and 202 and in this section the word “offence", includes any act committed at any place out of India, which, if committed in India, would be punishable under any of the following sections, namely, 302, 304, 382, 392 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399,402,435,436,449,450, 457,458, 459 and 460.
You Can give your opinion here