21. "Public servant"
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2022-11-11 11:40:10
21. “लोक सेवक” –
“लोक सेवक” शब्द उस व्यक्ति का ध्योत्तक है जो एतस्मिन् पश्चात् निम्नगत वर्णनों में से किसी में आता है, अर्थात् – दूसरा — भारत की सेना नौसेना या वायुसेना का हर आयुक्त आफिसर; तीसरा – हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसा कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्याय निर्णायिक कृत्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा शक्त किया गया हो; चौथा – न्यायालय का हर आफिसर जिसके अन्तर्गत समापक, रिसीवर या कमिश्नर आता है, जिसका ऐसे आफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे, या कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे, या रखे, या किसी सम्पति का भार सम्भाले या उस सम्पति का व्ययन करे, या किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करे, या कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करे, या न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखे और हर व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्हीं का पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो; पांचवा – किसी न्यायालय या लोक-सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी सदस्य, असेसर या पंचायत का सदस्य। छटा – हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा, या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा कोई मामला या विषय, विनिश्चय या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो। सातवां – हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण करता हो, जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए सशक्त हो। आठवां – सरकार का हर आफिसर जिसका ऐसे आफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करे, अपराधों की इत्तिला दे, अपराधियों को न्याय के लिए उपस्थित करे, या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करे। नवां – हर आफिसर जिसका ऐसे आफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, या व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करे, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करे या सरकार के धन सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या सरकार के धन सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे या रखे, या सरकार के धन-सम्बन्धी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके। दसवां – हर आफिसर, जिसका ऐसे आफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह किसी ग्राम, नगर या जिले के किसी धर्मनिरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, या व्यय करे, कोई सर्वोक्षण या निर्धारण करे, या कोई रेट या कर उद्गृहीत करे, या किसी ग्राम, नगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे या रखे। ग्यारहवां – हर व्यक्ति जो कोई ऐसा पद धारण करता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने या पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के किसी भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो; बारहवां – हर व्यक्ति, जो – (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक-कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो। (ख) स्थानीय प्राधिकारी की, अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी की, सेवा या वेतन में हो।
दृष्टान्त
नगरपालिका आयुक्त लोक सेवक है। स्पष्टीकरण 1 – ऊपर के वर्णनों में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं, चाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं। स्पष्टीकरण 2 – जहाँ कहीं “लोक सेवक” शब्द आए हैं, वे उस हर व्यक्ति के सम्बन्ध में समझे जायेंगे जो लोक सेवक के ओहदे को वास्तव में धारण किए हुए हों, चाहे उस ओहदे को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो। स्पष्टीकरण 3 – “निर्वाचन” शब्द ऐसे किसी विधायी, नगरपालिका या अन्य लोक प्राधिकारी के नाते, चाहे वह कैसे ही स्वरूप का हो, सदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का ध्योत्तक है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के रूप में निहित की गई हो। ————————————————
राज्य संशोधन
राजस्थान – भा० द० संहिता की धारा 21 राजस्थान में यथा प्रयोज्य खण्ड बारहवाँ के पश्चात् निम्नलिखित नवीन खण्ड जोड़े जाएँगे, यथा – तेरहवाँ – प्रत्येक व्यक्ति जो किसी विधि के अन्तर्गत अनुमोदित अथवा मान्यता प्राप्त किसी परीक्षा को सम्पादित कराने के लिए और उसकी देख-रेख करने के लिए किसी लोक निकाय द्वारा नियुक्त किया गया या लगाया गया है। स्पष्टीकरण – अभिव्यक्ति लोक निकाय में सम्मिलित हैं – (क) विश्वविद्यालय शिक्षा परिषद या अन्य निकाय चाहे वह केन्द्र अथवा राज्य के अन्तर्गत स्थापित हुआ ओ अथवा भारतीय संविधान के उपबन्धों द्वारा सरकार द्वारा गठित किया गया हो। (ख) “एक स्थानीय प्राधिकारी” [राजस्थान अधि० सं० 4 सन् 1993 धारा 2 प्रभावी 11-2-1993]
21. "Public servant" -
The words “public servant” denote a person falling under any of the descriptions hereinafter following, namely:-
First – Omitted by A.O. 1950.
Second – Every commissioned officer in the Military, Naval or Air Forces -of India.
Third - Every Judge including any person empowered by law to discharge, whether by himself or as a member of any body of person, any adjudicatory functions'.
Fourth– Every officer of a Court of Justice (including a liquidator, receiver or commissioner) whose duty it is, as such officer, to investigate or report on any matter of law or fact, or to make, authenticate, or keep any document, or to take charge or dispose of any property, or to execute and judicial process, or to administer any oath, or to interpret, or to preserve order in the Court; and every person specially authorized by a Court of Justice to perform any such duties;
Fifth - Every juryman, assessor, or member of a panchayat assisting a Court of justice or public servant;
Sixth - Every arbitrator or other person to whom any cause or matter has been referred for decision or report by any Court of Justice, or by any other competent public authority;
Seventh - Every person who holds any office by virtue of which he is empowered to place or keep any person in confinement;
Eighth - Every officer of the Government whose duty it is, as such officer to prevent offences, to give information of offences, to bring offenders to justice, or to protect the public health, safety or conveyance;
Ninth - Every officer whose duty it is, as such officer, to take receive, keep or expend any property on behalf of the Government, or to make any survey, assessment or contract on behalf of the Government or to execute any revenue process, or to investigate, or to report, on any matter affecting the pecuniary interests of the Government, or to make authenticate or keep any document relating to the pecuniary interests of the Government, or to prevent the infraction of any law the protection of the pecuniary interests of the Government;
Tenth - Every officer whose duty it is, as such officer, to take, receive, keep or expend any property, to make any survey or assessment or to levy any rate or tax for any secular common purpose of any village, town or district, or to make, authenticate or keep any document for the ascertaining of the rights of the people of any village, town or district.
Eleventh – Every person who holds any office in virtue of which he is empowered to prepare, publish, maintain or revise an electoral roll to conduct an election or part of an election;
Twelfth - Every person,-
(a) in the service or pay by the Government or remunerated by fees or commission for the performance of any public duty by the Government;
(b) in the service or pay of a local authority, a corporation established by or under a Central, Provincial or State Act or of a Government company as defined in Section 617 of the Companies Act, 1956 (1 of 1956).
Illustration
A Municipal Commissioner is a public servant.
Explanation 1 - Persons falling under any of the above descriptions are public servants, whether appointed by the Government or not.
Explanation 2 – Wherever the words “public servant'' occur, they shall be understood of every person who is in actual possession of the situation of a public servant, whatever legal defect there may be in his right to hold that situation.
Explanation 3 - The word "election" denotes an election for the purpose of selecting members of any legislative, municipal or other public authority; of whatever character, the method of selection to which is by or under, any law prescribed as by election].
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STATE AMENDMENT
Rajasthan – In Section 21 of the Indian Penal Code, 1860, in its application to the State of Rajasthan, after clause twelfth the following new clause shall be added, namely:-
Thirteenth – Every person employed or engaged by any public body in the conduct and supervision of any examination recognized or approved under any law.
Explanation.-The expression "Public Body” includes,-
(a) a University, Board of Education or any other body, either established by or under a Central or State Act or under the provisions of the Constitution of India or constituted by the Government ; and
(b) a local authority. [Vide Raj. Act 4 of 1993, Section 2 (w.e.f. 11.2.1993)]
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