236. Previous conviction -

Author: | Date: 2022-10-27 18:45:55

236. पूर्व दोषसिद्धि -- ऐसे मामले में, जिसमें धारा 211 की उपधारा (7) के उपबंधों के अधीन पूर्व दोषसिद्धि का आरोप लगाया गया है और अभियुक्त यह स्वीकार नहीं करता है कि आरोप में किए गए अभिकथन के अनुसार उसे पहले दोषसिद्ध किया गया था, न्यायाधीश उक्त अभियुक्त को धारा 229 या धारा 235 के अधीन दोषसिद्ध करने के पश्चात् अभिकथित पूर्व दोषसिद्धि के बारे में साक्ष्य ले सकेगा और उस पर निष्कर्ष अभिलिखित करेगा :

परन्तु जब तक अभियुक्त धारा 229 या धारा 235 के अधीन दोषसिद्ध नहीं कर दिया जाता है तब तक न तो ऐसा आरोप न्यायाधीश द्वारा पढ़कर सुनाया जाएगा, न अभियुक्त से उस पर अभिवचन करने को कहा जाएगा और न पूर्व दोषसिद्धि का निर्देश अभियोजन द्वारा, या उसके द्वारा दिए गए किसी साक्ष्य में, किया जाएगा।

236. Previous conviction - In a case where a previous conviction is charged under the provisions of sub-section (7) of section 211, and the accused does not admit that he has been previously convicted as alleged in the charge, the Judge may, after he has convicted the said accused under section 229 or section 235, take evidence in respect of the alleged previous conviction, and shall record a finding thereon :

Provided that no such charge shall be read out by the Judge nor shall the accused be asked to plead thereto nor shall the previous conviction be referred to by the prosecution or in any evidence adduced by it, unless and until the accused has been convicted under section 229 or section 235.

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