179. Offence triable where act is done or consequence ensues

Author: | Date: 2022-10-12 20:23:33

179. अपराध वहाँ विचारणीय होगा जहाँ कार्य किया गया या जहाँ परिणाम निकला -- जब कोई कार्य किसी की गई बात के और किसी निकले हुए परिणाम के कारण अपराध है तब ऐसे अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसी बात की गई या ऐसा परिणाम निकला।

179. Offence triable where act is done or consequence ensues — When an act is an offence by reason of anything which has been done and of a consequence which has ensued, the offence may be inquired into or tried by a Court within whose local jurisdiction such thing has been done or such consequence has ensued.

 

View PDF